चैत्र नवरात्रि पर रजौली में निकाली गई कलश यात्रा, की गई मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

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चैत्र नवरात्रि पर रजौली में निकाली गई कलश यात्रा, की गई मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना
मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का होता है नाश
रजौली।
चैत्र नवरात्रि के दिन रजौली संगत स्थित देवी मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा देवी मंदिर से शुरू होकर नीचे बाजार होते हुए राज शिव मंदिर के पास पहुंची। राज शिव मंदिर के बगल में दुर्गा मंदिर के पास कुआं से कलश में जल भरा। पूरे विधि-विधान व मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की गई। साथ ही राज शिव मंदिर एवं पंचमुखी बजरंगबली मंदिर में कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा-अर्चना की गई।
उसके बाद राज शिव मंदिर से नीचे बाजार होते हुए पुनः देवी मंदिर के पास आकर जल कलश यात्रा संपन्न हो गई। कलश यात्रा में दर्जनों श्रद्धालुओं के द्वारा जय माता दी, मां शेरावाली, मां जगदंबे, मां काली की खूब जयकारे लगाए गए। देवी मंदिर स्थित काली मंदिर में मुख्य यजमान राजेश पंडित एवं सरिता देवी पाठ पर बैठे हुए हैं। मुख्य पुजारी के रूप में मनोज पांडेय के साथ देवी मंदिर के पुजारी उपेंद्र पांडेय भी हैं। देवी मंदिर व काली मंदिर पूजा समिति के सदस्यों मुकेश कुमार दिल, बिलशन कुमार हवाई, जयचंद साव, विक्रम सिंह, सुमन कुमार, पवन पांडेय, संतोष ठाकुर, संतोष मालाकार, पंकज साव, शंकर साव, शंकर लाल, रंजीत कुमार, बिट्टू कुमार ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूरे विधि-विधान के साथ व मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की गई है।
मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में ये सती के रूप में जानी जाती थीं और भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं। उनके पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान किया। जिससे आहत होकर सती ने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर दी थी। इसके बाद अगले जन्म में वे शैलपुत्री के रूप में जन्मी और पुनः भगवान शिव से विवाह किया। नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
संपादक प्रफुल्ल कुमार सुमन की कलम से
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